बस, कार और स्कूटी चलाते आपने महिलाओं को देखा होगा, लेकिन आज हम आपकों हिमाचल की दो महिला ट्रक ड्राइवरों की कहानी बता रहे हैं जो दुनिया के खतरनाक रोड में शुमार किन्नौर और सोलन में ट्रक चला रही हैं। दोनों महिलाएं प्रदेश की महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनी हुई हैं। पहली महिला चालक किन्नौर की युवती पूनम नेगी हैं जो 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से आराम से ट्रक चलाती है। वहीं, दूसरी सोलन के अर्की की नीलकमल हैं।
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किन्नौर की पूनम नेगी 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से आराम से ट्रक चलाती है। वह बताती हैं कि उन्होंने केवल अपने जनून के कारण इस राह को चुना है। वह कहती है कि पहली बार जब उसने स्टेरिंग पकड़ा था। तो कई लोग कई तरह के कमेंट करते थे। यहां तक कि परिवारों वालों को कहते थे कि लड़की है इसे क्यों ड्राइविंग सिखा रहे हो। यहीं नहीं अगर पूनम किसी से ट्रक चलाने को मांगती थी। तो भी कई चालक उसका मजाक उड़ाते थे। लेकिन पूनम जब ऐसे लोगों के सामने स्पीड से ट्रक या वाहन लेकर जाती थी तो उनके मुंह बंद हो जाते थे। पूनम के परिजनों ने कभी ड्राइविंग करने से नहीं रोका। पूनम के पिता बागबान है। लेकिन बेटी के शौक को पूरा करने के लिए एक कार खरीद दी। ताकि निपुण हो सके। पूनम की ताकत उसके परिवार के सदस्य है। जिन्होंने हमेशा प्रोत्साहित किया। तीन बहनों और दो भाईयों में सबसे बड़ी पूनम है। पूनम ने बताया कि वह 2011 से ड्राइविंग कर रही हैं। जमा दो के बाद कंप्यूटर में डिप्लोमा चंडीगढ़ से किया। अब ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हैं। उसके परिवार में माता-पिता के अलावा दो बहनें जान्हवीं और पूर्णिमा सुप्रिया है, जबकि दो भाई कुलभूषण और सत्या भूषण है। एक भाई आर्मी में है। पिता कबीर चंद बागवान है।
पति की मौत के बाद सदमे से उबरने के बाद संभाला ट्रक : नीलकमल
हिमाचल के सोलन जिले के अर्की तहसील के बागी गांव की रहने वाली नील ने बताया कि पति की मौत के बाद सदमे से उबरने के अलावा दो ट्रकों की जिम्मेदारी भी नीलकमल के कंधों पर आ गई। महिला के स्टेयरिंग संभालने की मजबूरी उसके हालात बने। यहां एक ट्रक का कर्जा अभी देना बाकि था, महिला ने उसके लिए ट्रकों को चालकों के हाथ दिया लेकिन ट्रक चालकों के रवैये ने उन्हें खुद ही स्टेयरिंग संभालने को मजबूर कर दिया। मजबूर इरादे और हौंसले वाली इस महिला ने पहले ट्रक चलाना सीखा और फिर अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी बागा से हिमाचल और देश के अन्य राज्यों तक सीमेंट सप्लाई का काम शुरू कर दिया। नील कमल बताती हैं कि अब उन्हें ट्रांसपोर्टर और ट्रक चालक की भूमिका परेशान नहीं करती। सीमेंट सप्लाई टूर के दौरान कई बार रात को ट्रक में ही विश्राम करना पड़ता है, जिसे वह पूरे आत्मविश्वास के साथ कर लेती हैं।
डेयरी भी चला रही नील कमल
नीलकमल ने बताया कि वह इसके अलावा एक डेयरी भी चला रहीं है, जिसमें 15 गायें हैं। नीलकमल का कहना है कि आज महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती हैं।