हिमाचल के पहले पद्मविभूषण सम्मान पाने वाली शख्सियत थे ब्रज कुमार नेहरू, बिट्रिशकाल में पंजाब के गवर्नर व सात राज्यों में रह चुके राज्यपाल, 1980 में बस गए थे कसौली, जानिये अमेरिका में भारतीय राजदूत रहते भारत- चीन युद्ध के दौरान निभाई थी क्या भूमिका कि अमरिकी राजदूत ने चंगेज खान से की थी तुलना

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हिमाचल के पहले पद्मविभूषण सम्मान पाने वाली शख्सियत थे ब्रज कुमार नेहरू, बिट्रिशकाल में पंजाब के गवर्नर व सात राज्यों में रह चुके राज्यपाल, 1980 में बस गए थे कसौली, जानिये अमेरिका में भारतीय राजदूत रहते भारत- चीन युद्ध के दौरान निभाई थी क्या भूमिका कि अमरिकी राजदूत ने चंगेज खान से की थी तुलना
फोकस हिमाचल ब्यूरो की सोलन से रिपोर्ट
हिमाचल में पहला पद्मविभूषण का सम्मान पाने का गौर्व ब्रज कुमार नेहरू को हासिल हुआ था। देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चचेरे भाई ब्रज कुमार नेहरू ब्रिटिशकाल में पंजाब के गवर्नर व बाद में भारत के सात राज्यों के राज्यपाल बने थे। वे भारतीय राजनयिक व संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय राजदूत भी रहे। ब्रज कुमार नेहरू का जन्म 4 सितंबर 1909 को इलाहबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। 1980 को वे अपनी पत्नी शोभा नेहरू के साथ हिमाचल की कसौली में चले आए थे। यहां 1987 में उन्होंने फेयर व्यू बंगले को खरीदा था। कसौली में ही 31 अक्तूबर 2001 को 92 साल की आयु में उनका देहांत हुआ था, लेकिन इनका राजकीय सम्मान के साथ संस्कार दिल्ली में किया गया था।तो क्या राजा संसार चंद की दो सुंदर बेटियों को अपनी रानियां बनाने के लिए महाराजा रणजीत सिंह ने जीता था कांगड़ा किला? पढिए कांगड़ा की राजकुमारी गुड्डण और बंसो से जुड़ा प्रसंग
1934 में भारतीय सिविल सर्विस में आए
नेहरू का जन्म 4 सितंबर, 1909 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। उन्हें 1999 में पद्म भूषण पुरस्कार मिला। नेहरू की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई। इसके बाद लंदन के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से शिक्षा ग्रहण की। पंजाब विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1934 में भारतीय सिविल सर्विस में आए। सन 1934 से 1937 के मध्य उन्हें पंजाब प्रान्त के विभिन गवर्नर पदों पर नियुक्ति दी गयी। उन्हें 1945 के नववर्ष सम्मान सूची में ब्रिटिश साम्राज्य के सर्वोच्च सम्मान के लिए चुना गया। 1957 में नेहरू आर्थिक मामलों के सचिव बने। उन्हें 1958 में भारत के आर्थिक मामलों के आयुक्त (बाहरी वित्तीय संबंध) नियुक्त किया था। वे सात राज्यों के राज्यपाल भी रहे। वे जम्मू-कश्मीर 1981-84, असम 1968-73, गुजरात 1984-86, नगालैंड 1968-73, मेघालय 1970.73, मणिपुर 1972-73 और त्रिपुरा 1972-73 तक राज्यपाल रहे। फारूख अब्दुल्ला सरकार को अस्थिर करने में इंदिरा गांधी की मदद करने से इनकार करने के बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर से राज्यपाल के रूप में गुजरात स्थानांतरित कर दिया गया था।बिलासपुर के महिला समूह ने चीड़ की पत्तियों से सजावटी सामान बनाकर चमकाया कारोबार, आज कर रहीं लाखों का बिजनेस
‘नाइस गाइज़ फ़िनिश सेकेंड’ राजनीति सफर पर लिखी आत्मकथा
बीके नेहरू ने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिसक्स में पढ़ाई की। यही से उन्होंने आईसीएस परीक्षा पास की थी। इस दौरान वे हंगरी की फ्रीडमैन फौरी के प्रेमपाश में बंध गए थे। अपने राजनीतिक सफर पर बीके नेहरू ने नाइस गाइज फिनिश सेकेंड किताब लिखी है जिसमें उनके बड़े रोचक संस्मरण है। इसमें उनके देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल का संस्मरण भी शामिल हैं। बीके नेहरू पंडित जवाहर लाल के कार्यकाल के दौरान 1958 में अमरीका में राजदूत नियुक्त किए गए थे।उनके फैसले का काम के कारण तबके अमरीकी राजदूत जेके गालब्रैथ ने उनके बारे में कहा था कि चंगेज़ खाँ के बाद दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक इतना सोना बीके नेहरू के अलावा कोई नहीं ले गया। बीके नेहरू इस पद पर दस साल रहे थे और उस दौरान भारत चीन युद्ध में उन्होंने सबसे बड़ी जिम्मेदारी निभाई थी। इस युद्ध से भारत को काफी नुकसान हुआ था और अकाल के हालात पैदा हो गए थे। तब प्रधानमंत्री ने तत्कालीन अमेरिकी राष्टपति को पत्र लिखकरसैन्य सहायत की मांग की थी। उस दौरान बीके नेहरू की ही कोशिशों से अमेरिका ने भारत को 14 लाख टन गेहूं दिया था। साल 1973 में बीके नेहरू को ब्रिटेन में भारत का उच्चायुक्त बनाया गया थ। बीके नेहरू शिष्टाचार और समय के बहुत पक्के थे कि 1974 में इंग्लैंड गई भारतीय क्रिकेट टीम उनके द्वारा दी गई पार्टी में देर से पहुँची तो उन्होंने उससे मिलने से इनकार कर दिया।धर्मकोट में पेंटिंग करता रहा रॉयल अकादमी लंदन का पेंटर : एलफ्रेड डब्ल्यू हॉलेट ने कार्टन कॉटेज धर्मकोर्ट में रहते हुए बनाए जिंदगी के बेहतरीन चित्र, फूलों की चाहत ने दलाई लामा से करवाई दोस्ती
नेहरू परिवार में पहली विदेशी बहू लाए
ब्रज कुमार नेहरू के दादा दादा पंडित नंद लाल नेहरू पंडित मोतीलाल नेहरू के बड़े भाई थे। नेहरू परिवार में पहली विदेशी बहू लाने वाले बीके नेहरू यानी ब्रज कुमार नेहरू ही थे। उन्होंने 1930 को मैगोडोलना फ्रिडमैन उर्फ फौरी विदेशी महिला से शादी की थी जिनका बाद में नेहरू परिवार ने शोभा नेहरू नाम दिया था। शोभा नेहरू उर्फ फौरी का जन्म 5 दिसंबर 1908 को हंगरी के बुडापेस्ट में हुआ था। वह 1980 के दशक में अपने पति बीके नेहरू के साथ कसौली आई थी। बीके नेहरू का 92 वर्ष की आयु में 31 अक्टूबर 2001 को निधन होने के बाद वह कसौली में ही रहती थीं। वह नेहरू गांधी परिवार के बेहद करीबी रहीं। उन्हें भारत की सबसे उम्रदराज यहूदी महिला भी कहा जाता था। वह सोनिया गांधी से पहले नेहरू खानदान की पहली विदेशी बहू थी। फेयर व्यू बंगले को उनके स्वर्गीय पति व पूर्व राजदूत ब्रज कुमार नेहरू ने 1987 में खरीदा था।मंडी में मेडल जितने वाले खिलाड़ियां का नाहन में सम्मान, जिला पेंचक सिलात महासंघ ने सम्मानित किए विजेता खिलाड़ी,  नाहन के तीन खिलाड़ी अब खेलेंगे राष्ट्रीय स्तर की पेंचक सिलात
109 वर्ष की आयु में 2017 को कसौसी में शोभा नेहरू को हुआ था देहांत
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के चचेरे भाई के बेटे बीके नेहरू की पत्नी शोभा नेहरू का 109 वर्ष की आयु में 26 अप्रैल 2017 को सोलन के कसौली में निधन हुआ था । उन्होंने लोअर मालरोड स्थित फेयर व्यू कोठी में अंतिम सांस ली थी उनकी अंतिम इच्छा कसौली के इस बंगले से ही प्राण त्यागने की थी। उस समय अपनी मां की इच्छा के अनुरूप अमेरिका में रहने वाले उनके मंझले बेटे आदित्य नेहरू अपनी मां के पास कसौली में रह रहे थे। राहुल गांधी शोभा नेहरू के बेहद लाड़ले थे। जब भी समय मिलता राहुल गांधी चुपचाप उनके पास पहुंच जाते थे। वे अंतिम बार मई 2016 में उनसे मिलने पहुंचे थे। वहीं सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी भी शोभा नेहरू के काफी करीब थे। शोभा नेहरू सर्दियों में वह गुडगांव अपने बेटे के यहां रहने चली जाती थी, जबकि गर्मियों में वह कसौली में रहना पसंद करती थी। ब्रज कुमार और शोभा नेहरू के तीन पुत्र अशोक नेहरू, आदित्य नेहरू और अनिल नेहरू हैं। पहला गुडगांव और अन्य दो छोटे बेटे अमेरिका में रहते हैं। कसौली में पैदा हुए, मसूरी को बनाया घर, भारत में बचपन की स्मृतियां और प्रेम के कारण इंग्लैड से लौट आने वाले लेखक रस्किन बांड की जिंदगी से एक दिलचस्प कहानी, बकौल रस्किन – ‘आसान नहीं बच्चों का ध्यान किताबों की तरफ खींचना’

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