हजारों ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी में उम्मीद की किरण आई डॉक्टर दीदी, डॉक्टरी के पेशे को छोड़कर चिन्मय ग्रामीण विकास संगठन के जरिए सामाजिक आर्थिक बदलाव लाने वाली क्षमा मैत्रे की प्रेरककथा

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हजारों ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी में उम्मीद की किरण आई डॉक्टर दीदी, डॉक्टरी के पेशे को छोड़कर चिन्मय ग्रामीण विकास संगठन के जरिए सामाजिक आर्थिक बदलाव लाने वाली क्षमा मैत्रे की प्रेरककथा
धर्मशाला से फोकस हिमाचल ब्यूरो की रिपोर्ट
आर्थिक मोर्चे पर नाउमीदी की अंधेरी राहों से गुजर रहीं हजारों महिलाओं की जिंदगी में उम्मीद की किरण बनकर आने वाली डॉक्टर क्षमा मैत्रे कांगड़ा घाटी में ‘डॉक्टर दीदी’ के नाम से मशहूर हैं। साढ़े तीन दशक की कठोर सतत् साधना से उन्होंने गरीबी के दुष्चक्र में जीने को मजबूर सैंकड़ों गांवों की हजारों ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सबल बनाया है। हिमाचल प्रदेश में महिला उत्थान को लेकर किए गए डॉ क्षमा मैत्रे के काम को रॉयल अकादमी ऑफ आर्ट्स लंदन ने प्रतिष्ठित गार्जियन इंटरनेशनल डवेलपमेंट आवार्ड से सम्मानित किया है। डॉ क्षमा मैत्रे धर्मशाला के नजदीक सिद्धबाड़ी गांव से संचालित गैर सरकारी संगठन, चिन्मय ग्रामीण विकास संगठन (कोर्ड) की नेशनल डायरेक्टर है। र्कोर्ड संगठन महिला सशक्तिकरण व विशेष बच्चों के अधिकारों को लेकर काम कर रहा है।पति के मृत्यु के बाद घर से शुरू किया आचार-चटनी का कारोबार, आज आत्मनिर्भर बन परिवार का सहारा बनी कुल्लू के शीशामाटी की लीला दो बच्चों को पाल रही और बेहतर एजुकेशन दिला रही
डॉक्टरी छोड़ दी समाजसेवा को प्राथमिकता
साल 1985 में स्वामी चिन्मयांनद के सानिध्य में दिल्ली से अपने डॉक्टरी के पेशे को छोड़कर क्षमा मैत्रे ने सिद्धबाड़ी में कोर्ड संगठन की स्थापना की। महिला उत्थान के क्षेत्र में उनकी यह पहल सारी दुनिया के लिए एक मिशाल बन गई है। अपने जीवन के साढ़े तीन दशक से ज्यादा महिलाओं के लिए समर्पित कर चुकी क्षमा मैत्र ने महिला उत्थान के लिए हजारों स्वंय सहायता समूहों का गठन कर ग्रामीण महिलाओं को जीने की राह दिखाई है। महिलाओं में माइक्रो क्रेडिट की शुरूआत कर उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अनूठी पहल की है।
प्रयोग बने आर्थिकी का आधार बने
माइक्रो बैकिंग, विकलांगों के पुनर्वास, महिलाओं के रोजगार सृजन,प्राकृतिक संसाधनों के प्रबधंन और महिला सशक्तिकरण के उनके मॉडल को न केवल देश बल्कि दुनिया ने सलाम किया है। कोड संस्था वर्तमान में न केवल हिमाचल प्रदेश में काम कर रही है बल्कि देश के कई अन्य राज्यों में भी संस्था की अहम परियोजनाओं संचालित की जा रही हैं। कार्ड संस्था ने प्रदेश में ऐसे प्रयोग किए, जो यहां आर्थिक परिवर्तनों का आधार बने। यहां महिलाओं के हाथ में परचेजिंग पावर आने से परिवारों में सामाजिक परिवर्तन को पढ़ा जा सकता है।अजब-गजब : ब्रिटिशकाल में नाहन को अंडरग्राउंड सीवरेज सिस्टम देने वाले अंग्रेज अफसर की यादें लिये  इंग्लैंड से लौट आई थीं ‘बूढ़ी मेम साहब’, विला राउंड में आज भी प्रेम की निशानी हैं दो कब्रें
महिलाओं, युवाओं व बच्चों को लेकर काम
कोर्ड महिला सशक्तिकरण के लिए महिला मंडल, युवितयों में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए युवती ग्रुप्स, बच्चों के पोषाहार के लिए आंगनवाड़ी, युवा ग्रुप्स, सेल्प हेल्प ग्रुप्स, प्राथमिकता चिकित्सा व पुनर्वास को लेकर काम कर है। विशेष बच्चों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए भी कोर्ड कार्यक्रम चला रहा है।
काम को मिल सम्मान
महिला उत्थान के क्षेत्र में किये गए कार्यों के लिए भारत सरकार क्षमा मैत्रे को पद्मश्री से सम्मानित कर चुकी है। वर्ष 2013 में कोर्ड की एक शाखा की प्रोजेक्ट इंचार्ज कृष्णा को महिला सशक्तिकरण के उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग ने सम्मानित किया। इससे पहले सन 2012 में कोर्ड की निदेशक डॉ.क्षमा मैत्रे को गार्जियन इंटरनेशनल डेवलपमेंट अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया था। इसी साल फिक्की लेडीज संगठन ने समाज सेवा के लिए कोर्ड की एक शाखा को सम्मनित किया। सन 2008 में क्षमा मैत्रे को राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त हुआ। 2006 में विकलांगों के पुर्नवास के लिए काम करने की खातिर अखिल भारतीय महिला शिक्षा कोष एसोसिएशन की ओर से कोर्ड को ‘नीना सिब्बल मेमोरियल आवार्ड’ दिया गया। सन 2006 में ही उड़ीसा के महिला एंव बाल विभाग की ओर से स्वयं सहायता समूहों के गठन व संवर्धन के लिए सर्वश्रेष्ठ सुविधा पुरस्कार प्रदान किया। कोर्ड को जम्मू-कश्मीर में भी स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने के लिए सन 2001 में सम्मानित किया है। प्रतिष्ठित टाइम्स ग्रुप की ओर से क्षमा मैत्रे को ‘तेजस्वनी शिखर सेवा अंलकार’से सम्मानित किया गया है।अंग्रेजी मेम ओलिव पर दिल आया तो जींद के महाराजा ने पचास हजार में खरीद ली, लॉर्ड कर्जन को नागवार गुजरी शादी तो कप्पल को नहीं दी शिमला के अनाडेल ग्राउन्ड में पोलो खेलने की इजाजत

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