फोकस हिमाचल ब्यूरो शिमला
पूर्व आइपीएस रामेश्वर सिंह ठाकुर ने आज हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष में रूप में शपथ ली। जाहिर है, इस अहम पद पर चयन के साथ ही प्रदेश के लोग उनके और उनके परिवार के बारे में जानना चाहते हैं। कम ही लोगों को पता है कि रामेश्वर सिंह के लिए जीवन की शुरुआत ही चुनौती भरी थी। जब वह महज पांच साल के नौनिहाल थे, उस बचपन में ही उनके सिर से मां-बाप दोनों का का साया उठ गया था। मुसीबत की इस घड़ी में उनके मौसी-मौसा ने परिजनों की भूमिका निभाई। वे रामेश्वर सिंह को अर्की के मांजू गांव से घणाहट्टी ले आए। यहीं पर उनकी स्कूली पढ़ाई शुरू हुई। रामेश्वर सिंह पढ़ाई में अच्छे थे और अपने शिक्षकों के प्रिय थे।यंग माइंड- आठवीं- दसवीं में पढने के लिए रोज करना पड़ता था 16 किलोमीटर का पैदल सफर, नासा में सलेक्शन के बाद अब यूरोपियन स्पेस एजेंसी में सलेक्ट हुए जन्द्राह के अनुज चौधरी
उच्च शिक्षा के बाद सेना में गए फिर पुलिस में सेवाएं दीं
उच्च शिक्षा पास करने के बाद रामेश्वर सिंह शार्ट सर्विस कमीशन प्राप्त कर सेना में चले गए। पांच साल सेना में सेवाएं देकर पुलिस सेवा में आए। दिल्ली में एसपीजी सेवा के दौरान मौसी को साथ रखा। कुछ समय बाद मौसी का निधन हो गया और दूसरी मौसी ने गोद लिया।नवाचारी शिक्षण गतिविधियों से बदल रहे नौनिहालों की तकदीर, देश में चमके चंबा के प्राइमरी शिक्षक युद्धवीर, मिलिए राष्ट्रीय शिक्षक अवार्ड के लिए चयनित जेबीटी शिक्षक युद्धवीर टंडन से
एक बेटा डॉक्टर, एक फाइटर पायलट
रामेश्वर ठाकुर ने कहा कि आयोग में पहले सिस्टम को समझेंगे और उसके बाद प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं को आगे आने के अवसर ढूंढे जाएंगे। हमारे युवा बहुत प्रतिभाशाली हैं। उन्हें केवल सही दिशा दिखाने की जरूरत है। रामेश्वर के दो पुत्र हैं। एक बेटा डाक्टर है और दूसरा फाइटर पायलट है।
राष्ट्रपति पुलिस मेडल से हुए सम्मानित
रामेश्वर ठाकुर 1990 में भारतीय सेना से कैप्टन पद से सेवानिवृत्त हुए और उसके बाद 1994 में पुलिस सेवा में आए। नौ साल तक एसपीजी में रहे। 2016 में राष्ट्रपति पुलिस मेडल मिला। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो में डिप्टी डायरेक्टर रहे। उन्हें 30 सितंबर 2024 को सेवानिवृत्त होना था। अब लोक सेवा आयोग में बतौर अध्यक्ष चार साल का कार्यकाल रहेगा।हजारों स्टूडेंट्स की हैंडराइटिंग सुधारने के लिए दुनिया भर में छाये शिमला के ‘कैलीग्राफी गुरु’ वीरेंद्र कुमार को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार