प्रेरक – जिस बटालियन में लांस नायक पति हुए थे शहीद, उसी में बेटे को अफसर बनाने वाली वीर नारी को जयहिंद
फोकस हिमाचल डेस्क
12 जून, 1999 को राजपूताना राइफल्स की दूसरी बटालियन के लांस नायक बचन सिंह के द्रास कारगिल में शहीद होने की खबर आई, उनके जुडवां बेटों की उम्र महज छह साल थी। जब बचन सिंह की पत्नी ने पति की शहादत की खबर सुनी तो उस पर मानो वज्रपात हो गया। इस वीर नारी ने अकेले अपने बच्चों की परवरिश की और उनको उच्च शिक्षित करने में खुद को सर्मपित कर दिया। ठीक 19 साल बाद जब छोटा बेटा हितेश कुमार जब कमीशन पास कर अपने ही पिता की बटालियन में अफसर बना तो एक मां की तपस्या पूरी हुई। पिता की शहादत के बाद राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चैल से पढ़कर लेफ्टिनेंट बनने वाले हितेश कुमार देश की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरक हैं तो उनकी मां एक वीर नारी की पहचान है, जिसने माता- पिता दोनों की जिम्मेदारी निभाते हुए बेटे को सैन्य अफसर बनाया। मूलत: उत्तर प्रदेश के मुजफ़्फ़ऱनगर हितेश कुमार को पिछले साल 9 जून को देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक होने के बाद लेफ्टिनेंट के रूप में राजपूताना राइफल्स की दूसरी बटालियन में नियुक्ति मिली। यह वही वही यूनिट है जिसमें कभी उनके पिता ने सेवांए दी थीं। 23 अक्टूबर, 1994 को पैदा हुए हितेश कुमार ने राष्ट्रीय राष्ट्रीय सैन्य स्कूल चैल से पढ़ाई करने के बाद दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स कॉलेज से पढ़ाई की है। हालांकि उनके पास कॉपोरेट में कैरियर के बेहतरीन अवसर थे, बावजूद इसके उन्होंने मां की भावनाओं का आदर करते हुए सेना में सेवाएं देने को प्राथमिकता दी।