नरेद्र मोदी खा चुके हैं इस ढाबे पर खाना, पठानकोट – मंडी नेशनल हाईवे पर नारला में 40 साल से मंडयाली धाम के लिए मशहूर फ़ौजी का ढाबा
मंडी से विनोद भावुक की रिपोर्ट
आज हम आपको ऐसे ढाबे के बारे में बता रहे हैं, जिस पर प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी खाना खा चुके हैं. नरेद्र मोदी जब हिमाचल प्रदेश भाजपा के प्रभारी थे, तब उन्होंने मंडी से धर्मशाला जाते समय फ़ौजी ढाबा पर खाना खाकर ढाबा मालिक के हुनर की तारीफ़ की थी. इतना ही नहीं, इस ढाबे पर बने लज्जीज व्यंजनों का स्वाद लेने वालों में देश और प्रदेश की कई बड़ी हस्तियां शामिल है. पठानकोट – मंडी नेशनल हाईवे पर मंडी से 28 किलोमीटर दूर नारला में स्थित फ़ौजी का ढाबा पिछले 40 साल से मंडयाली धाम के लिए दूर- दूर तक मशहूर है. धाम में ज्यादातर स्थानीय खाद्दान्न और दलहन का प्रयोग होता है.वर्तमान में फ़ौजी ढाबा चार लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा रहा है.
साढ़े नौ बजे से साढ़े तीन बजे तक धाम

फ़ौजी ढाबा पर सुबह पांच बजे धाम की तैयारी शुरू होती है. कोविडकाल से पहले यहां रोजाना पांच सौ लोगों के लिए धाम पकती थी. कोविडकाल में लोकडाउन के चलते उनका कारोबार भी खूब प्रभावित हुआ है. चावाल कुकर के बजाये पतीले में पकाए जाते हैं. फ़ौजी ढाबा में 9 टेबल पर धाम की थाली परोसी जाती है. साढ़े नौ बजे से दोपहर बाद साढ़े तीन बजे तक ग्राहकों को गर्म धाम परोसी जाती है. यहां दिन विशेष के हिसाब से सपू, बड़ी, मटर पनीर, रोंगी स्पेशल दिश के तौर पर परोसी जाती है, जबकि राजमाह, खट्टी दाल, माह दाल और कड़ी हर रोज बनती है. सीजनल स्लाद के साथ बुरांस की चट्ट्नी ग्राहकों को परोसी जाती है.
रैलियों, पार्टियों और शादियों में धाम बनाने के ऑर्डर

सुरेश कुमार और राजेन्द्र कुमार ने फोकस हिमाचल को बताया कि फ़ौजी ढाबा में पैक कर खाना देने का चलन नहीं है. जिसको भी खाने का आनंद लेना होता है, ढाबे में बैठ कर खाना पड़ता है. हालांकि कोई टिफिन साथ लाया हो तो उसमें पैक करवा कर धाम अपने घर ले जा सकता है. फ़ौजी ढाबा की तरफ से रैलियों, पार्टियों और शादियों में भी मंडयाली धाम बनाने का काम होता है. इसके लिए अडवांस ऑर्डर लिए जाते हैं. ऐसे अच्छे- खासे ऑर्डर फौजी ढाबा के पास आते हैं.
सेना से रिटायर्ड हो संभाला ढाबे पर मोर्चा

साल 1981 में द्रंग विधानसभा क्षेत्र के जुंडर गांव के चरण सिंह उर्फ़ चमारू राम ने सेना से सेवानिवृत होकर अपने पिता पोईया राम की स्लेटनुआं चाय की दुकान को ढाबे में बदल कर मंडयाली धाम बनाने का काम शुरू किया. शुरू में महज दस ग्राहकों के लिए भोजन बनता था. खाना इतना टेस्टी था कि जल्द ही फ़ौजी ढाबे के खाने के चर्चे होने लगे. दो दशक के सफर में न केवल ग्राहकों की संख्या आशातीत बढ़ गई, बल्कि कच्ची दुकान भी पक्की हो गई. साल 2003 में चरण सिंह स्वर्ग सिधार गए, लेकिन तब तक उनका उद्यम पूरी तरह से स्थापित हो चुका था. उनके बाद पिछले लगभग दो दशक से उनके बेटे सुरेश कुमार और राजेन्द्र कुमार फ़ौजी ढाबे का प्रबंधन देख रहे हैं.
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अगर आप मंडयाली धाम बनाने के लिए फ़ौजी ढाबा की सेवाएं लेना चाहते हैं तो 9857410305 पर संपर्क कर सकते हैं.