चंबा से फोकस हिमाचल ब्यूरो की रिपाेर्ट
कोरोना के कारण दो साल मणिमहेश की यात्रा नहीं हो पाई। इस साल यह यात्रा 19 अगस्त को शुरू होगी और दो सितंबर तक चलेगी। खूबसूरत पर्वत शृंखलाओं से घिरा कैलाश पर्वत मणिमहेश कैलाश के नाम से प्रसिद्ध एक पवित्र मनोरम तीर्थस्थल है। इसी स्थान पर मणिमहेश नामक एक छोटी सी पवित्र झील बहती है, जोकि समुद्र तल से लगभग 13,500 फुट की ऊंचाई पर है और इस झील की पूर्व की दिशा में कैलाश पर्वत स्थित है। मणिमहेश हिमाचल प्रदेश में चंबा जिले के भरमौर में आता है और मिनी अमरनाथ के नाम से मशहूर है। मणिमहेश यात्रा का फल पाना है तो पहले कीजिए भरमाणी माता के दर्शन, चंबा से 62 किमी दूर भरमौर में स्थित मंदिर से जुड़ी हैं कई मान्यताएं
मणिमहेश की पौराणिक कथा
मणिमहेश झील का स्थल पीर पंजाल की हिम शृंखला में चंबा के पूर्व में स्थित है। पौराणिक कथाओं में इस झील को भगवान शिव की क्रीड़ा स्थली माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ विवाह पश्चात इसका निर्माण किया था। वहीं झील के जल के दो मुख्य स्त्रोत हैं जो शिव क्रोत्रि यानी के शिव जी का स्नान स्थल तथा दूसरा गौरी कुंड के नाम से जाने जाते हैं। मणिमहेश की खोज व धार्मिक रूप से तीर्थ यात्रा की शुरुआत करने का श्रेय योगी चरपटनाथ को जाता है, जिन्होंने इस जगह को जाना तथा सभी को इसके महत्व के बारे में बतलाया। तभी से दो सप्ताह चलने वाली यह यात्रा जन्माष्टमी से श्रीराधाष्टमी तक प्रति वर्ष होती जाती है।अमरनाथ से भी कठिन है श्रीखंड महादेव यात्रा, श्रीखंड महादेव के दर्शन के लिए 18570 फीट की ऊंचाई पर चढ़ना होता है, दो साल बाद 11 से 24 जुलाई तक होगी यात्रा
मणिमहेश : रोग मुक्ति स्थल
कहा जाता है कि राधा अष्टमी के दिन सूर्य देव की पहली किरण जब कैलाश पर्वत पर पड़ती है तो शिखर पर प्राकृतिक रूप से बने शिवलिंग से चमत्कारीक मणि जैसी खूबसुरत आभा निकलती है। जब झील के जल मे यह किरणें पड़ती है तो झील का पानी अमृत समान हो जाता है और इस जल मे स्नान करने सम्स्त पापों से छुटकारा मिल जाता है तथा विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है।यहां से किसी को भी निराश नहीं जाने देते मगरू महादेव छतरी, 13वीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की पाषाण प्रतिमाएं हैं दर्शनीय
मणिमहेश: जहां रहते हैं महादेव, ब्रह्ममुहूर्त में होते हैं जोत स्वरूप मणि के दर्शन
मणिमहेश जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं
मणिमहेश यात्रा में हेली टैक्सी की सुविधा भी होती है। वहीं प्रशासन की ओर से जानकारी के अनुसार हड़सर से मणिमहेश के लिए पैदल चलने वाले यात्रियों और खच्चरों के लिए अलग-अलग ट्रैक रहेंगे। यात्रियों के लिए टैंटों की पर्याप्त उपलब्धता हर हाल में सुनिश्चित की जानी चाहिए। यात्रा के लिए सेक्टर बांटे जाएंगे। नियंत्रण कक्ष और सूचना केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे। इसके अलावा नाले किनारे टैंट लगाने पर रोक रहेगी।अगर आपके साथ हुआ है कोई अन्याय, बाबा सिद्ध चानो के द्वार में मिलेगा न्याय, शक्ति देख अचंभित हुए थे भगवान श्रीकृष्ण, परागपुर में स्थित है बाबा का ऐतिहासिक मंदिर
सीसीटीवी कैमरे की नजर और कोविड के नियमों का होगा पालन
जिला प्रशासन की ओर से इस बार श्रद्धालुओं के लिए पंजीकरण की व्यवस्था का भी विशेष प्रावधान रहेगा, ताकि यांत्रियों की जानकारी रह सके। वहीं, भरमौर और चंबा में सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जाएगी. जिला प्रशासन इसको लेकर तैयारियां जोरों पर कर रहा है। चंबा के डीसी राणा ने बताया कि मणिमहेश यात्रा इस बार 19 अगस्त से 2 सितंबर तक होगी। भरमौर और जिला प्रशासन तैयारियों में जुटा हुआ है। यात्रियों का पंजीकरण किया जाएगा, ताकि यह जानकारी मिल सके की कौनसा यात्री कहां से आया और कितने लोग यात्रा से वापस लौट चुके हैं। उन्होंने कहा कि यात्रियों को कोरोना नियमों का पालन करना होगा।गोविंद सागर झील में बाबा गरीबनाथ का मंदिर, पेड़ के नीचे की थी तपस्या, नौ नाथों में शामिल हैं बाबा गरीब नाथ