चुराह विधानसभा सीट: सोशल मीडिया पर बार- बार ट्रोल होते रहे भाजपा के डॉ. हंस राज की जीत हैट्रिक को रोकने के लिए कांग्रेस ने शिक्षक यशवंत सिंह खन्ना को मैदान में उतारा
चंबा से मनीष वैद की रिपोर्ट
कभी दो अधिवक्ताओं पर टिप्पणी करने के मामले में अदालत ने समन जारी किया तो कभी कभी महिला के साथ व्हाट्सएप चैट के सोशल मीडिया स्क्रीन शॉट वायरल होने शिकायत पुलिस तक पहुँची। स्कूल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान हंसने पर स्टूडेंट को थप्पड़ जड़ने का प्रकरण हो या फिर एडमिशन के लिए प्रिंसिपल को काबुल- कंधार भेजने की धमकी हो। विधानसभा उपाध्यक्ष जैसे पद पर आसीम डॉ. हंस राज भारद्वाज सोशल मीडिया पर जम कर ट्रोल होते रहे हैं। बेशक डॉ. हंस राज हमेशा विवादों और सुर्ख़ियों में रहे हैं, बावजूद इसके भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने तीसरी बार फिर से उन्हीं पर दांव खेला है। उधर, लेकर सोशल मीडिया पर बार- बार ट्रोल होते रहे भाजपा के डॉ. हंस राज की जीत हैट्रिक को रोकने के लिए कांग्रेस ने शिक्षक यशवंत सिंह खन्ना को उतारा मैदान में उतारा है।
भाजपा से धरतीपुत्र का मुद्दा छिना, कांटे की टक्कर
इस बार धरती पुत्र जैसा मुद्दा चुनाव में नहीं है, क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी भी चुराह से ही सम्बन्ध रखता है। एक तो प्रदेश में सत्तासीन भाजपा के खिलाफ एंटी इन्कंवेंसी है, वहीं चुराह के भाजपा विधायक के विवादों को लेकर भी बहुत कुछ विरोधी उनपर हमलावर है। चूंकि कांग्रेस ने नए चेहरे को मैदान में उतारा है, इसलिए उनके खिलाफ अभी भाजपा के पास कुछ भी कहने को नहीं है, यही कारण है कि इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा- कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है और मुकाबला करीबी होने के पूरे आसार हैं।

पुनर्सीमांकन के बाद भाजपा का कब्ज़ा
चंबा जिला की चुराह विधानसभा सीट 68 सीटों वाली हिमाचल प्रदेश विधानसभा की पहली विधानसभा सीट है। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। पुनर्सीमांकन के बाद बनी इस सीट के लिए हुए दो चुनावों में इस सीट पर भाजपा ने कब्ज़ा जमाया है और लगातार दो चुनाव जीते डॉ. हंस राज विधानसभा उपाध्यक्ष जैसे पद पर पहुंच कर भाजपा के दिग्गज नेता बन कर उभरे हैं। कांग्रेस की टिकट पर दो बार जीत दर्ज करने वाले सुरेन्द्र भारद्वाज की दावेदारी को नजर अंदाज कर कांग्रेस ने नए चेहरे को तरजीह दी है।
कभी कांग्रेस का रहा गढ़
2012 के विधानसभा चुनाव में डॉ. हंस राज को 24,978 वोट मिले थे, जबकि सुरेंद्र भारद्वाज को 22,767 वोट मिले थे और वे दो हजार से ज्यादा मतों से पराजित हुए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में डॉ. हंसराज को 28,293 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 23349 वोट मिले थे। इस बार डॉ. हंस राज ने सुरेन्द्र भारद्वाज को 5 हजार वोटों के अंतर से मात दी थी। पुनर्सीमांकन से पहले इस सीट को राजनगर विधानसभा सीट के नाम से जाना जाता था और 2003 और 2007 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस का कब्ज़ा रहा है।
दलितों के हाथ जीत की कुंजी
जातीय समीकरण की बात करें तो चुराह विधानसभा क्षेत्र में जीत- हार के सारे समीकरण दलितों के हाथ में है और अनुसूचित जाति के वोटरों का प्रभाव सर्वाधिक है। इस विधानसभा क्षेत्र में तकरीबन 26 प्रतिशत दलित वोटर हैं। इस क्षेत्र में मुस्लिम वोटर्स की भूमिका भी अहम् मानी जाती है। चुराह में 9 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स और 5 प्रतिशत गुर्जर मतदाता भी चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। इस बार इस क्षेत्र में कुल 74 हजार वोटर हैं, जिनमें 38 हजार मतदाता पुरुष हैं जबकि 36 हजार महिला मतदाता महिलाएं हैं.
पिछड़ा हुआ चुराह, विकास के लिए भर रहा आह
चुराह विधानसभा क्षेत्र अभी तक विकास का बेसब्री से इन्तजार कर रहा है। यह विधानसभा क्षेत्र बेहद पिछड़ा है। क्षेत्र में स्वास्थय सुविधाओं की खासी कमी है। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए यहां के लोगों को दूसरे क्षेत्र में जाने को मजबूर होना पड़ता है। इस क्षेत्र में पेयजल का प्रावधान करना भी एक बड़ा मुद्दा है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत बेशक यहां पेयजल उपलब्ध करवाने की कोशिश हुई है, लेकिन अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ करने की जरूरत है।