किस- किस ने धोये हैं इस नेचुरल शैम्पू.से बाल? ‘डोडण’ के पेड़ को लेकर कितना है आपके पास ज्ञान ?
फोकस हिमाचल फीचर डेस्क
आधुनिकता की अंधी दौड़ में खुद को दुसरे के बड़ा दिखने की होड़ में हम कुदरत से मिले अनमोल खजाने को भूल गए है| मार्केटिंग कितनी चलाकी से अपना काम करती है कि हमने कुदरत से मुफ्त में मिलने वाली बेशकीमती चीजों को अपने जीवन से दूर कर दिया है| ऐसे ही एक जड़ी बूटी है रीठा| रीठा हमारे ग्रामीण जीवन का हिस्सा रहा है, इसलिए पहाड़ के लोकगीतों में इसका जिक्र है| कांगड़ा जनपद के अन्दर रीठा के पेड़ को ‘डोडण’ कहा जाता है| बेहद उपयोगी होने के वाबजूद ‘डोडण’ पहाड़ से गायब होने लगी है|
कंडीशनर, शैम्पू से बेहतर रीठा
कंडीशनर, शैम्पू और खूशबूदार साबुनों की आदि पीढ़ी क्या जाने कि साबुन की अपेक्षा रीठा ज्यादा लाभ दायक होता है. शैम्पू की जगह रीठा बालों के लिए ज्यादा श्रेष्ठ होता है| रीठा के पानी से बाल धोने से बाल स्वस्थ और घने एवं चमकीले होते हैं,इसमें नेचुरल क्लींजिंग एजेंट हैं जो स्किन को हानि नहीं पहुंचाते। इससे बालों की जूंए भी ख़त्म होती है| बाल बढ़ते हैं और डैंड्रफ ख़त्म होती है।
धान के खेतों में रीठा
रीठा के पेड़ से कीड़े-मकोड़े और सांप एवं चूहे दूर रहते हैं, इसलिए धान की खेती करने वाले अपने खेतों में रीठा लगाते हैं, ताकि उनकी फसल चूहों से बची रहे। रीठा में मौजूद एंटी-वेनम से सांप या बिच्छू के काटे का जहर उतारा जा सकता है।
पुराने पेड़ बुजुर्ग, नए लग नहीं रहे
रीठा (Sapindus Mukorossi) के वृक्ष भारत के प्राय: सभी इलाकों में पाए जाते हैं। हिमाचल में भी रीठा के पेड़ है, लेकिन चिंता की बात यह है कि पुराने पेड़ बुजुर्ग हो रहे हैं और नए कोई लगा नहीं रहा यह वृक्ष आकार में काफी बड़े होते हैं| इसके पत्ते गूलर के पत्तों से थोड़े बड़े होते हैं|
साधारण पेड, आसाधारण गुण
हिमालय बचाओ अभियान के नेता एवं विख्यात पर्यावरणविद कुलभूषण उपमन्यु कहते हैं कि रीठा का पेड़ साधारण होने के साथ गुणों से भरा होता है| कभी यह पेड़ ग्रामीण हिमाचल में काफी अहम् था, अब लोग इसको लेकर गंभीर नहीं है| यह ग्रामीण आर्थिकी में अहम् भूमिका निभा सकता है