कांशी राम 60 सालों से कर रहे ड्राई क्लीन का काम, 90 वर्ष की आयु में भी कर रहे खुद आजीविका का इंतजाम
जोगिंद्रनगर से सत्य प्रकाश ठाकुर की रिपोर्ट
बिरले ही उम्र के नौवें दशक तक पहुँच पाते हैं और जो पहुंचते भी हैं, उनमें से अधिकतर दूसरों के मोहताज हो जाते हैं। जीवन के 90 बसंत देख चुका कोई व्यक्ति अगर अपनी आजीविका के लिए दूसरे का मोहताज न हो, ऐसी बात सुन अचरज होता है, लेकिन ऐसी ही एक प्रेरककथा के नायक हैं कांशी राम। जोगिंद्रनगर निवासी कांशी राम लगभग 90 साल की उम्र में अपनी आजीविका स्वयं कमाकर लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का भी काम कर रहे हैं। वे पिछले लगभग 60 वर्षों से ड्राई क्लीन का काम कर रहे हैं। जीवन के इस पड़ाव में भी अपने कार्य से लोगों के लिए प्रेरणा का काम करने वाले कांशी राम को 15 अगस्त, 2022 को उपमंडल प्रशासन ने शॉल, टोपी व प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित कियाकभी मजदूरी करने वाले बिलासपुर के हरिमन ने गर्म जलवायु में उगने वाले सेब की किस्म की खोज की, इन्हीं के नाम पर HRMN-99 सेब की इस किस्म के 55 पौधे बने राष्ट्रपति भवन के शान, कई उपलब्धियों से नवाजे गए


आठ साल की उम्र में शुरू किया काम
1930 के दशक में उनका जन्म हमीरपुर जिला के टौणी देवी में हुआ ह। माता पिता की 10 संतानों जिनमें चार भाई व 6 बहनें शामिल हैं में से एक हैं। मात्र आठ वर्ष की छोटी सी आयु में वे अपने संबंधी के साथ शिमला पहुंच गए तथा लोअर बाजार में एक ड्राई क्लीन की दुकान में काम शुरू कर दिया। तीन वर्ष तक काम करने के बाद वे 2 वर्ष नंगल, पंजाब में काम किया और कुछ समय के लिए अमृतसर में एक फौजी अफसर के घर में काम किया।जुगाड़ से ऐसी मशीनें बनाईं, जड़ी- बूटियों की खेती से बढ़ी कमाई : प्रोसेसिंग उद्योग का चेहरा बदल कर रिक्शा चालक से करोड़़पति बनने वाले हरियाणा के धर्मवीर कंबोज

आजादी के बाद पहुंचे जोगिंद्रनगर
वर्ष 1947 में 15 वर्ष की आयु में उनकी शादी तय हुई तो वे वापिस घर पहुंच गए। इस बीच भारत- पाकिस्तान का बंटवारा हो गया तथा देश में भारी उथल-पुथल देखी। कई परिवारों को उजड़ते हुए देखा तो कईयों ने अपना जीवन तक गंवा दिया। औपचारिक शिक्षा से अछूते लेकिन सामाजिक विषयों की खूब समझ रखने वाले कांशी राम शादी के बाद आजीविका की तलाश में वे जोगिंद्रनगर पहुंचे तथा ड्राई क्लीन का कार्य शुरू कर दिया। तब से लेकर वे निरन्तर कपड़ों की ड्राई क्लीन का काम कर रहे हैं तथा परिवार की आजीविका को चलाते आ रहे हैं।

बेटा सहायक अभियन्ता के पद पर कार्यरत
हंसमुख व बेहद खुशमिजाज व्यक्तित्व के धनी कांशी राम कहते हैं कि उनके सात बच्चे हैं जिनमें 6 बेटियां व एक बेटा है। बेटियों को पढ़ा लिखाकर उनकी शादियां कर दी, जबकि बेटे को नागपुर महाराष्ट्र से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाई। उनका बेटा आजकल जलशक्ति विभाग में सहायक अभियन्ता के पद पर कार्यरत है।25 साल की उम्र में ग़ज़ल लिखनी शुरू की, 75 साल में पहला ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित, जि़ंदगी की सांझ में जवां ‘उसे दुख धरा का सुनाना पहाड़ों’ के शायर पवनेंद्र पवन की सृजन की दुनिया