अब आप हंसा गौतम की आवाज में प्रादेशिक समाचार सुनिए, तीन दशक से लंबे समय तक चला पहाड़ पर चला आकाशवाणी शिमला की मखमली आवाज का जादू

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अब आप हंसा गौतम की आवाज में प्रादेशिक समाचार सुनिए, तीन दशक से लंबे समय तक चला पहाड़ पर चला आकाशवाणी शिमला की मखमली आवाज का जादू
शिमला से विनोद भावुक की रिपोर्ट
आज की प्रेरककथा की नायिका एक ऐसी समाचार वाचक हैं, जिनकी आवाज का जादू तीस साल से भी ज्यादा समय तक पहाड़ पर कायम रहा। हंसा गौतम ने आकाशवाणी शिमला से तीन दशक ज्यादा समय तक समाचार वाचक की भूमिका निभा कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने आकाशवाणी शिमला में अपनी न्यूज रीडर कम ट्रांसलेटर की खूब लंबी पारी खेली है। साल 1971 से आकाशवाणी शिमला से शुरू हुआ हंसा गौतम की आवाज का असर तीस से भी ज्यादा सालों तक प्रदेश के कोन-कोने में कायम रहा।प्रसिद्ध साहित्यकार व लेखिका आशा शैली से साहित्यकार वीरेंद्र शर्मा ‘वीर’ का साक्षात्कार: ‘जीते-मरते जो कुछ भी करूंगी वो सिर्फ साहित्य होगा
जालंधर दूरदर्शन की ड्रामा राइटर
हंसा गौतम ने वर्ष 1971 में आकाशवाणी शिमला में स्क्रिप्ट राइटर के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। उनकी मुख्य भूमिका भूमिका न्यूज रीडर कम ट्रांसलेटर के रूप में रही। साल 1982 तक आकाशवाणी शिमला से प्रकाशित होने वाले तकरीबन हर कार्यक्रम की स्क्रिप्ट उन्होंने लिखी। इतना ही नहीं, इसी दौरान उन्होंने कई रेडियो नाटक भी लिखे। साल 1982 के बाद जालंधर दूरदर्शन में ड्रामा राइटर का भी काम किया।
मंडी में मायका, बिलासपुर में ससुराल, शिमला कर्मभूमि
2 जून, 1949 को शिमला में पैदा हुई हंसा गौतम का बचपन महाराष्ट्र के नागपुर शहर में बीता। उनकी स्कृली शिक्षा भी वहीं पर हुई। स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्रविद्यालय से एमए हिंदी, राजस्थान विश्रविद्यालय से बीजेएमसी और प्रदेश विश्वविद्यालय से एमजेएमसी की परीक्षा पास की। हंसा गौतम की शादी साल 1975 में आकाशवाणी शिमला में ही कार्यरत एमएस गौतम से हुई। हंसा गौतम का जहां पैतृक शहर मंडी है, ससुराल बिलासपुर में और उनकी कर्मभूमि शिमला रही है।स्त्री विमर्श के प्रश्नों को लेखन से उजागर करने वाली लेखिका हैं सरोज परमार, पांच दशक की साहित्य साधना, ‘मैं नदी होना चाहती हूं’ को अकादमी पुरस्कार
आकाशवाणी शिमला का सबसे लोकप्रिय नाम
हंसा के पिता नहीं चाहते थे कि वह रेडियो में काम करे, लेकिन बचपन से ही भाषण प्रतियोगिता का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह बार-बार मन को उद्वेलित करता था। यही सबसे बड़ी वजह थी कि उन्होंने रेडियो को अपने कैरियर के तौर पर चुना। शादी के उन्हें उनके पति ने खूब प्ररित किया। रेडियो ने हंसा गौतम को नई उड़ान और पहचान दी और एक वह भी दौर था, जब रेडियो के श्रोताओं के लिए हंसा गौतम सबसे लोकप्रिय नाम था।स्मृति-शेष – सुकेत राज दरबार की मंगलमुखी गायिका कबूतरी की मखमली आवाज का जादू कई रियासतों में चलता था जादू , सौ साल तक करती रही लोकगीतों की संभाल

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